मेरा एक घर है गांव में
यू दर दर भटकता, मुकद्दर की फ़िक्र करतामुसाफिर हूं मैं इस शहर में, कभी वापस लौट जाऊंगासफर पर निकला हूं, अनजानों संग नाव मेंआशियानो की फ़िक्र नहीं मुझे, मेरा एक घर है गांव में।।1।। हर ग़म से बेखबर था, मां के आंचल की जबतलक छाव थीहाथ छूटते ही उसका, मुसीबतों से घिर गया मैंखुले आसमान…