उम्मीद क्या रखना…
ये भी है की इस राह में खतरे बहुत हैं, हवा का रुख़ ही खिलाफ़ हो, तब तूफान से क्या डरना? ये फ़सल यूं भी खराब होनी ही थी, हमने बोया ही देर से था, फिर बारिश पर दोष क्या मढ़ना? ये कश्ती डूबती है तो डूब जाए अभी, उस पार जाना है तो खुद…
The Healthcare Blog
ये भी है की इस राह में खतरे बहुत हैं, हवा का रुख़ ही खिलाफ़ हो, तब तूफान से क्या डरना? ये फ़सल यूं भी खराब होनी ही थी, हमने बोया ही देर से था, फिर बारिश पर दोष क्या मढ़ना? ये कश्ती डूबती है तो डूब जाए अभी, उस पार जाना है तो खुद…
रहो खड़े जीवन रण में, हो निर्भीक निडर, कर गर्जन गभीर, एक निर्मम हुंकार भरो, शर[1] रिक्त हो जब भी तूणीर, स्वयं का संधान करो, आत्मचिंतीत जीवन लक्ष्यों के भेदन का, ऎसा आत्मघाती, कोई तो उपाय करो।। है अभेद्य क़िले सा वह नर, जलती हो जिसमें, विजय की आग प्रखर, प्रस्फुटित[2] हो, जब भी उसका…
महाभारत के युद्ध में जब अर्जुन ने शस्त्र त्याग कर युद्ध ना करने का निर्णय लिया, तब भगवान श्री कृष्ण ने उन्हें पुनः युद्ध के लिए सज्ज करने हेतु क्या कहा होगा, उसी पार्श्वभूमी पर लिखी गई कविता “अर्जुन शस्त्र उठाओ….” हो धीर, धर धनु धनंजय[1];उठा बाण, कर संधान लक्ष्य पर,मत भूल जो आघात हुए…