अभी लिखना बाक़ी है….
क्यों कलम रोक दू?, लिखने का प्रण त्याग दू!;उपहास के भयवश, सत्य से मुंह मोड़ लू?;अभी तो छंद लिखे है, नौ रस लिखना बाक़ी है;मैंने बस विरह लिखा, अभी मिलन का उत्सव लिखना बाक़ी है।। शब्द मेरे, निज़ व्यथा का मुखर साक्ष है;मुक्तक-मुक्तक मेरे सुख – संघर्ष की बात कहें;अभी तो एक क्षण लिखा है,…