पलायन की पीर
चहरे के दाग़ ही नहीं,दिल का हर मर्ज बताते है,आईने ही है,जो बेफिक्र होकर, हर सच बताते है।। घर का अंधेरा ही नहीं मिटाती,नई उम्मीद भी जगाती है,एक शमा ही है,जो जलकर, उजाले की कीमत बताती है।। सपने ही नही बिखरते,घर भी उजड़ जाते है,नम आंखे क्या बतलाएंगी,पलायन की पीर, पैरों के छाले बताते है।।